मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि एक स्मार्ट गोरा सा आदमी है बिल्कुल क्लीन शेव्ड, उसने नजर का चश्मा लगाया हुआ था।
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यह किसी कक्षा में नहीं हुआ, कोई चश्मा लगाया हुआ प्रोफ़ेसर नहीं था, और न ही वह कोई चतुर तर्क पर विचार विमर्श कर रहा था।
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उस दिन माया ने बेहद फूहड़ प्लास्टिक के फ्रेम वाला चश्मा लगाया हुआ था और टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी उसपर बुडलैंड के मोटे मोटे जूते और बड़ी हुई दाढ़ी जिन्हें देखकर कोई भी कह सकता था की ये पत्रकार है या फिर एनएसडी की भटकता हुआ कलाकार।